Re: कहानी/ क्यों सूख गयी तू अनास नदी?
वही सुबह के साढ़े चार बजे मदन, असीम और एस.डी.एम. अंसारीमेघनगर स्टेशन पर राजधानी के आने का इंतज़ार कर रहे थे। गाड़ीआयी और वहाँ रुकी। पूरी ट्रेन से केवल एक यात्री फर्स्ट एसी केडिब्बे से निकला। कोई और नहीं बल्कि हमारे कार्यालय के एम.डी.श्रीधरन साहब। अंसारी ने कहा साहब, आप थक कर आये होंगे यहींडाक बँगले में थोड़ा आराम कर लीजिए फिर सुबह सात-आठ बजे तकनिकल चलेंगे। पर एम.डी साहब को लगा कि विश्राम घर से ठीक तोझाबुआ के सर्किट हाऊस में जाना ही उनकी शान के मुताबिक होगा।अंसारी ने अदब से कहा साहब रात में जाना ठीक नहीं है इस इलाकेमें।
अच्छी बात है, चलिए।
डाक बँगले में तीस साल पहले की तरह चाय-पानी का कोई इंतज़ामनहीं था। एस.डी.एम अंसारी बहुत ही सरल स्वभाव के इन्सान थेलेकिन उनके ओहदे का जादू था कि तुरंत ही सिपाही कुछ अच्छे वालेबिस्कुट और दूध की स्पेशल चाय बनवा कर ले आया।
श्रीधरन साहब ने पूछा यह भील लोग कैसे होते हैं। अंसारी ने कहासाहब बहुत भले लोग होते हैं पर पता नहीं कब क्या कर बैठें।इनका एक त्यौहार होता है भगोड़िया जिसमें इनके जवानलड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे को पसंद करते हैं और भाग कर आपस मेंशादी मना लेते हैं। अभी पिछले साल इसी त्यौहार में एक भीलताड़ी पीकर एक इमारत की सीढ़ी पर बैठा था। मैं जब अपनी जीप परवहाँ से गुजरा और उससे मिला तो वह बहुत खुश था। अभी मैं घर तकही पहुँचा था कि वायरलेस पर संदेश मिला कि हमारे एस.आई. को एकभील ने गंडासे से मार दिया है। तुरंत लौटा तो देखता हूँ कि वहीभील वहाँ बैठा है। पुलिसवालों ने बताया कि इसी ने इंसपेक्टर कीहत्या की है। उससे पूछा तो बोला हाँ साब, हमने इसे मारा। मैंनेपूछा क्यों मारा तुमने इसे, तो कहने लगा यों ही। पुलिसवालों नेबताया कि एस.आई. ने इसे डाँटते हुए पूछा था यहाँ क्या कर रहेहो तो इसे गुस्सा आ गया।
|