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Old 21-09-2013, 06:59 PM   #253
jai_bhardwaj
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Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

बन्दा नवाज़ियों पे खुदा-ए-करीम था
करता ना मैं गुनाह तो गुनाहे-अज़ीम था

बातें भी की खुदा ने दिखाया जमाल भी
वल्लाह क्या नसीब जनाबे कलीम था

दुनिया का हाल अहले अदम है ये मुख़्तसर
इक दो कदम का कूचा-ए-उम्मीद-ओ-बीम था

करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रजू
जिसने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था

समां-ए-उफी क्या मैं कहूं मुख़्तसर है ये
बन्दा गुनाहगार था खालिक करीम था

जिस दिन से मैं चमन में हुआ ख्वाह-ए-गुल 'अमीर'
नाम-ए-सबा कहीं ना निशान-ए-नसीम था

-अमीर मीनाई
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
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