Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज
मैं जैसे ही जेल के भीमकाय फाटक के बाहर निकला, वैसे ही एक गोरी नवयौवना ने दौड़कर मुझे बाँहों में भर लिया और अश्रुसिक्त चुम्बनों की झड़ी लगा दी। बीच-बीच में उसके मुख से केवल ये शब्द निकलते थे "बिल, आई लव यू; परन्तु तुमने ऐसा क्यों किया?" मेरे लिये किसी नवयौवना द्वारा बाहों में भरा जाना प्रथम अनुभव था और सार्वजनिक स्थान पर इस प्रकार का चुम्बन-प्रहार कल्पनातीत अनुभव था और मैं प्रत्येक चुम्बन के साथ अपने को लज्जावश अधिक से अधिक संकुचित होता अनुभव कर रहा था। आवेश कुछ शांत होने पर वह नवयौवना, जिसे मैं समझ गया था कि वह फियोना ही है, मेरी बाँह में बाँह डालकर घसीटती हुई सी मुझे अपनी कार तक ले गई और बगल की सीट पर मुझे बिठाल कर वह स्वयं ड्राइवर-सीट पर बैठ गई और गाड़ी स्टार्ट कर दी। तब मैंने कहा, "मैं बिल नहीं हूँ। आप मुझे कहाँ ले जा रही हैं।"
उसने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, "बिल, इतने दिन जेल में रहने के बाद भी तुम्हारी मजाक करने की आदत गई नहीं है।"
मैंने फिर समझाने वाले अंदाज से उससे कहा, "मैं सही कह रहा हूँ कि मैं तो भारतवासी हरिहरनाथ कपूर हूँ तुम्हारा बिल नहीं।"
इस पर वह केवल मुस्करा दी और गाड़ी चलाती रही। फिर मुझे वह एक फार्म पर बने भव्य मकान पर ले गई। उसने दूर से ही कार के डैशबोर्ड पर एक बटन दबाया और गैराज का दरवाजा खुल गया और हमारी कार अंदर पहुँचने पर बटन दबाने पर बंद हो गया। गैराज में ही पीछे का दरवाजा अन्दर एक सुन्दर ड्राइंग-रूम में खुलता था। ड्राइंग-रूम में घुसते ही उसने मुझे फिर बाँहों में भर लिया और वह मेरे मुख पर दीर्घ चुम्बन देते हुए आवेशित हो रही थी, तभी मैंने कह दिया, "मैं सबसे पहले नहाना चाहता हूँ, जेल में नहाने हेतु गर्म पानी न मिलने के कारण मैं कभी ठीक से नहीं नहा पाया और बड़ा गंदा सा महसूस कर रहा हूँ। मुझे भूख भी बड़ी जोर से लग रही है।" यह सुनकर उसने मुझे छोड़ दिया और मेरे लिये कपड़े बाथरूम में रख दिये। फिर किचेन में खाना तैयार करने में जुट गई। मैं नहा-धोकर जब बाहर निकला तो मुझे देखकर वह बोली, "बिल! इन दिनों में तुम पहले से अधिक सुंदर लगने लगे हो। अब डाइनिंग रूम में बैठो, खाना लगभग तैयार है।"
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