View Single Post
Old 22-09-2013, 08:16 PM   #8
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: लम्बी कहानी/ रक्तबीज

उस व्यक्ति द्वारा किसी भी क्षण हम दोनों पर आक्रमण कर देने के भय को ध्यान में रखते हुए मैंने अपनी सम्पूर्ण स्थिति को स्पष्ट कर देने का यह उचित अवसर समझा और अपना परिचय देते हुए संक्षेप में आप-बीती सुनाई; यह भी बता दिया कि यद्यपि मैं बार-बार अपना सही परिचय दे रहा हूँ परन्तु फियोना भ्रमवश मुझे अपना पति समझ रही है परन्तु हम दोनों में कोई शारीरिक सम्बन्ध स्थापित नहीं हुआ है। मेरे शब्दों में निहित आत्म-विश्वास के कारण एवं मेरे शरीर पर वस्त्र पहने हुए होना देखकर उसे मेरी बातों पर विश्वास हो गया और उसके चेहरे पर एक स्मित-रेखा खिंच गई। तभी फियोना चुपचाप आँख नीची किये हुए लजाती अपने वस्त्र पहनने बाथरूम में घुस गई और वह व्यक्ति, जो स्पष्टत: बिल था, धीरे से आगे बढ़कर मेरे निकट बेड पर बैठ गया। उसने मेरे चेहरे को पुन: एकाग्रचित्त होकर देखा जैसे उसकी प्रत्येक रेखा का अध्ययन कर रहा हो, मेरे हाथों को छूकर देखा और मेरे पैर देखे। फिर भावावेश में मेरे गाल पर हल्का सा चुम्बन देते हुए कहा, "हम दोनों एक ही पिता के क्लोन्स (रक्तबीज) हैं।


मैं भौंचक्का सा उसकी ओर देख रहा था और वह बोले जा रहा था, "हमारे जनक प्रोफेसर फ्रेडरिक रोज़लिन बायो-टेक्नोलोजी इंस्टीच्यूट, एडिनबरा में जीन्स पर शोध कार्य किया करते थे। आज से तीस वर्ष पूर्व उन्होंने चार अन्फर्टिलाइज्ड फीमेल एग्*सेल (अगर्भित अंड) प्राप्त कर और उनमें उपलब्ध सभी डी.एन.ए. निकाल कर उनमें अपने शरीर के सेल के सभी डी.एन.ए. प्रस्थापित कर दिये थे। सहवास के उपरांत स्त्री एवं परुष के आधे-आधे डी.एन.ए. अंडे के अंदर मिलने से शरीर की रचना प्रारम्भ हो जाती है और इस प्रकार शरीर के प्रत्येक सेल में दोनों के डी.एन.ए. होते हैं। यदि किसी खाली अंडे में एक ही व्यक्ति के शरीर के सेल के सभी डी.एन.ए. स्थापित कर दिये जायें, तो उस व्यक्ति का प्रतिरूप तैयार होने लगता है।
rajnish manga is offline   Reply With Quote