Re: एक योगी स्कॉटलैंड यार्ड में
1972 का वर्ष उसके लिये विशेष महत्व का साबित होने वाला था. उसकी सहायता से पुलिस द्वारा संचालित किये गये अभियानों की सफलता के मद्देनज़र उसे “वर्ष का सर्वश्रेष्ठ श्वान” घोषित किया जाना तय था. विभाग के कार्यों के अतिरिक्त उसे विभिन्न स्कूलों में भी ले जाया जाता था जहां उसकी खोज-पड़ताल की क्षमता बच्चों के सामने प्रदर्शित की जाती थी. यहां पर डाउग द्वारा जन-चेतना हेतु उसके अभियानों के विषय में तथा नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में लेक्चर दिये जाते थे.
जुलाई 1972 में ही सात वर्षीय, 30 किलो वजन के योगी को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पुलिस श्वान चुने जाने पर “ब्लैक नाईट एवार्ड”, जो कि शुद्ध सोने का बना तमगा था, प्रदान किया गया. यह तमगा योगी की ओर से सार्जेन्ट डगलस शेअर्न ने स्वीकार किया.
वह कोहरे से घिरी हुई एक रात थी जब वह एक अभियान के सिलसिले में लंदन के मिलवाल डॉक्स के नज़दीक लाया गया था कि उसकी जोकर वाली पुरानी प्रवृत्ति फिर से दिखाई देने लगी. योगी को लगा कि आसपास ही कहीं हशीश (एक नशीला पदार्थ) की खेप रखी हुई है. वह एक दम से नदी में कूद पड़ा. शेअर्न ने उसको पानी से बाहर निकाला. लेकिन तब तक योगी ने अपनी खेप को ढूंढ निकाला था. इस दौरान, शेअर्न को एक बात का खटका लगा. कुछ लेब्रेडर कुत्तों में यह पाया गया था कि उन्हें बढ़ती उम्र के साथ आँखों की एक बिमारी हो जाती है जिसका पहला संकेत रतौंधी (रात के समय दिखाई न देना) के रूप में सामने आता है. धीरे धीरे यह बीमारी उन्हें पूरी तरह अँधा बना देती है. योगी आज हशीश ढूँढ़ने की झोंक में डॉक से कूद गया था अथवा उस पर अंधेपन का एक आक्रमण हुआ था.
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