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Originally Posted by rajnish manga
हम जिस में मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और
आलम में तुझसे लाख सही, तू मगर नहीं
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हमदम मेरे मान भी जाओ, कहना मेरे प्यार का
हलका हलका, सुर्ख लबों पे, रंग तो हैं इकरार का
प्यार मोहब्बत की हवा पहले चलती हैं
फिर एक लट इनकार की रुख़ पे ढलती हैं
ये सच हैं कम से कम तो ऐ मेरे सनम
लटें चेहरे से सराकाओ, तमन्ना आँखे मलती हैं
तुम से मिल मिल के सबा, दुनियाँ महकाये
बादल ने चोरी किये आँचल के साये
ये सच हैं कम से कम तो ऐ मेरे सनम
चुरा लू मैं भी दो जलवे, मेरा अरमां भी रह जाये