Re: बच्चो को सीख देने वाली कहानी
एक निराशावादी कौआ बोला “शत्रु बलवान हैं। हमें यह स्थान छोडकर चले जाना चाहिए।”
स्याने कौए ने सलाह दी “अपना घर छोडना ठीक नहीं होगा। हम यहां से गए तो बिल्कुल ही टूट जाएंगे। हमे यहीं रहकर और पक्षियों से सहायता लेनी चाहिए।”
कौओं में सबसे चतुर व बुद्धिमान स्थिरजीवी नामक कौआ था, जो चुपचाप बैठा सबकी दलीलें सुन रहा था। राजा मेघवर्ण उसकी ओर मुडा “महाशय, आप चुप हैं। मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।”
स्थिरजीवी बोला “महाराज, शत्रु अधिक शक्तिशाली हो तो छलनीति से काम लेना चाहिए।”
“कैसी छलनीति? जरा साफ-साफ बताइए, स्थिरजीवी।” राजा ने कहा।
स्थिरजीवी बोला “आप मुझे भला-बुरा कहिए और मुझ पर जानलेवा हमला कीजिए।’
मेघवर्ण चौंका “यह आप क्या कह रहे हैं स्थिरजीवी?”
स्थिरजीवी राजा मेघवर्ण वाली डाली पर जाकर कान मे बोला “छलनीति के लिए हमें यह नाटक करना पडेगा। हमारे आसपास के पेडों पर उल्लू जासूस हमारी इस सभा की सारी कार्यवाही देख रहे हैं। उन्हे दिखाकर हमें फूट और झगडे का नाटक करना होगा। इसके बाद आप सारे कौओं को लेकर ॠष्यमूक पर्वत पर जाकर मेरी प्रतीक्षा करें। मैं उल्लुओं के दल में शामिल होकर उनके विनाश का सामान जुटाऊंगा। घर का भेदी बनकर उनकी लंका ढाऊंगा।”
फिर नाटक शुरु हुआ। स्थिरजीवी चिल्लाकर बोला “मैं जैसा कहता हूं, वैसा कर राजा कर राजा के बच्चे। क्यों हमें मरवाने पर तुला हैं?”
मेघावर्ण चीख उठा “गद्दार, राजा से ऐसी बदतमीजी से बोलने की तेरी हिम्मत कैसे हुई?”कई कौए एक साथ चिल्ला उठे “इस गद्दार को मार दो।”
राजा मेघवर्ण ने अपने पंख से स्थिरजीवी को जोरदार झापड मारकर तनी से गिरा दिया और घोषणा की “मैं गद्दार स्थिरजीवी को कौआ समाज से निकाल रहा हूं। अब से कोई कौआ इस नीच से कोई संबध नेहीं रखेगा।”
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