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Originally Posted by dark saint alaick
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, मित्र रजनीशजी; किन्तु मैं आपसे 'सर्वहारा की इस पाक बाइबल' की सम्पूर्ण प्रस्तुति की अपेक्षा कर रहा था।
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नज़रे इनायत के लिये आपका शुक्रिया, अलैक जी. अभी तो इतना ही. कोशिश करूँगा कि भविष्य में "माँ" को समग्र रूप में प्रस्तुत कर सकूं. इस पुस्तक के बारे में आपने जो कुछ लिखा है वह सौ प्रतिशत सही है.