Re: सर्प का संसार(')_~_~_~
साँपों के बारे में व्याप्त अंधविश्वास के कारण ही लोग उनके काटने पर अक्सर ओझाओं के चक्कर लगाते हैं, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। जबकि यदि ऐसे लोग साँपों के काटने पर नजदीकी अस्पताल जाएँ, तो उन व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है, जिन्हें साँप ने काट हो।
इस प्रकार यह अंधविश्वास एक ओर जहाँ साँपों के लिए खतरनाक सिद्ध हो रहा है, वहीं उसके कारण हर साल सैकड़ों की तादात में मनुष्य भी असमय काल का ग्रास बनने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
ऐसा भी नहीं है कि इन अंधविश्वासों के जालों को साफ करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। चाहे सरकार स्तर पर अथवा गैर सरकारी स्तर पर लोगों को जानकारी प्रदान कर उन्हें अंधविश्वास के कोटरों से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन 'हिस्स' जैसे तमाम प्रयास इस सारे किये-धरे पर एक बार में ही पानी फेर देते हैं। इसलिए यहाँ पर यह सवाल सिर उठा रहा है कि क्या इस तरह की अंधविश्वास फैलाने वाली फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? क्या भारत सरकार को इस बारे में कोई स्पष्ट नीति बनानी चाहिए, जिससे फिल्म और टेलीविजन चैनल आस्था के नाम पर भारत की जनता को गुमराह न कर सकें?
यदि आप इस विषय पर गहराई से कुछ सोचते हैं, तो कृपया अपने विचार अवश्य व्यक्त करें। हो सकता है कि अंधविश्वास के विरूद्ध चलाई जाने वाली मुहिम में आपके विचार ही निर्णायक भूमिका अदा कर जाएँ।
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