Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
अब तो जांच-पड़ताल आसन्न है और अगले कुछ घंटे कष्टदायी दर्द और असुविधा से भर जाते हैं। तड़के सुबह से, घर के बाहर एकत्रित हुई भीड़ की आवाजे सुनाई देने लग जाती हैं, जो कि परम्परा के हिसाब से मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं देने आए हैं। उनके साथ ही मुझे पुलिस का सायरन और एम्बुलेंस का भी विशिष्ट सायरन सुनाईदिया।मैं बमुश्किल नीचे उतरता हूँ और प्रतीक्षारत स्ट्रेचर में लेट जाता हूँ। बाहर खामोशी छाई हुई है। स्टाफ़ और निकटी शुभचिंतक फ़ोयर में एकत्रित हो जाते हैं। कोई कुछ नहीं कहता है, सिवाय मीडिया के। वे कोलाहल मचाते हैं और एक एक्सक्लूसिव शॉट के लिए चिल्लाते हैं, एम्बुलेंस की पवित्रता का हनन करते हुए। वे स्थिति की संवेदनशीलता को कभी नहीं समझेंगे। पुलिस ट्रेफ़िक और प्रतीक्षारत भीड़ के बीच से गाड़ियां निकालने की कोशिश करती हैं, लेकिन वो पर्याप्त नहीं होता।मीडिया एक और अड़चन है इस आकस्मिकसवारी का जल्दी से जल्दी नानावटी तक पहुँचने में। अगर उनका बस चलता तो वे मेरे साथ स्ट्रेचर पर बैठकर मुझसे अपने सवालों के जवाब मांगते।
"सर, आपका जन्मदिन किस तरह मनाया जाएगा? क्या आप शाहरुख को निमन्त्रण दे रहे हैं?"
संवेदनहीन. कठोर.
सी-टी स्कैन के क्षेत्र में, सतत गति से मशीन का रम्भाना भयभीत कर देता है. सभी धातु की चीजे हटाने के बाद, धीरे धीरे स्ट्रेचर मशीन के गुफ़ानुमा छेद में प्रवेश कर जाता हैं. मशीन के पुर्जे घुमते हैं. घुटन का माहौल. थोड़ी खटर-पटर के बाद मशीन बोलती है - लगभग भगवान की आवाज में ...
"सर, आप एक गहरी सांस लें ...अब सामान्य रुप से सांस लें।"
|