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मंगल अभियान के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं: इसरो
बेंगलूर। चंद्रायण-1 मिशन से जी माधवन नायर को ‘मून मैन’ का खिताब मिल गया था, लेकिन इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन का कहना है कि उन्हें खुद को ‘मार्स मैन’ कहलाने का कोई शौक नहीं है। राधाकृष्णन से जब पूछा गया कि क्या वह ‘मार्स मैन’ कहलाना पसंद करेंगे, तो उन्होंने यहां पीटीआई से कहा, ‘‘मैं इसरो मैन कहलाना पसंद करूंगा। यह इसरो की टीम है जो पीएसएलवी, जीएसएलवी, मार्स सब कुछ कर रही है। सो, मैं उस इसरो टीम का एक हिस्सा होना पसंद करूंगा।’’ सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कुछ आलोचकों की इस सोच को बेहूदगी करार दिया कि 5 नवंबर का मार्स आॅरबाइटर अभियान का समय चुनावी वर्ष में केन्द्र की शासक पार्टी के चुनावी अवसर को बढाने के लिए है क्योंकि इससे ‘‘आत्मगौरव’’ की भावना पैदा होगी। राधाकृष्णन ने कहा कि 1962 में अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू हुआ और तब से इसने कई मंजिलें सर की हैं और उन्हें किसी राजनीतिक सत्ता के लिए तैयार नहीं किया गया था। वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह :अंतरिक्ष कार्यक्रम: एक तरफ होते हैं। एक सरकार इसे शुरू करती है और हो सकता है कि कोई दूसरी सरकार उसे साकार होते देखे।’’ राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘यह किसी की तरफ नहीं...लेकिन आलोचक हमेशा कुछ ना कुछ कह सकते हैं और कोई उन्हें रोक नहीं सकता। लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है।ै’’ इसरो अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष का एक नियत समय है। आप जब किसी परियोजना की कल्पना करते हैं तो उसे साकार होने में समय लगता है। ये राजनीति से प्रेरित समयकाल नहीं होते हैं।’’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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