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Originally Posted by arvind
हत्यारे कसाब को फांसी की सज़ा सुना दी गई है। चार मामलों में फांसी दी गई है इस हत्यारे हो। लेकिन फिर भी मैं समझता हूं कि मौत के इस सौदागार के लिए ये सज़ा बहुत नरम है। ये तो आया ही मरने-मारने के इरादे से था। ऐसे में इसे पकड़ कर फांसी देना सही नहीं है। एक तो ये अपने पहले मकसद यानि लोगों को मारने में कामयाब हो गया और दूसरा मरने में कामयाब हो रहा है। इस जैसे घृणित शख्स के लिए कठोर से कठोर सज़ा देनी चाहिए। मानव अधिकारों को ताक पर रखते हुए इतनी कष्टदायक मौत देनी चाहिए कि हर आतंकी को सबक मिले। हां, इसके चीथड़े उड़ा देने चाहिए। नहीं, आज संयम खो देने दीजिए। इसे सरेआम सूली पर चढ़ा देना चाहिए। एक ऐसी मिसाल पेश की जानी चाहिए कि कोई भी हिन्दुस्तान की ओर आंख उठाकर न देख पाए। इतनी भयंकर मौत की एक बार किसी की भी रूह कांप उठे।
मेरे विचार से तो कसाब को एक बाड़े में बंद किया जाए जिसके चारों और दर्शक दीर्घा बनी हो। उस दर्शक दीर्घा में 26/11 हमले के भुक्तभोगी लोग होंगे। और उनके हाथ में पत्थर। ये लोग पत्थर मार-मारकर इसकी जान ले लें। इस घटना का सीधा प्रसारण किया जाए। भले ही आपको बचकानी सोच लगे या फिर आपको इस बात का डर हो कि कहीं ऐसा होने से हमारे विरोधी और युवाओं को उकसाएंगे, लेकिन हमें कठोर कदम उठाने ही होंगे। वरन्, इन लोगों ने तो हमें नपुंसक ही समझ लिया है।
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मेरे विचार से तो यह इस 'वकील व्यवस्था' की नपुंसकता भी लगती है कि जिस व्यक्ति को पूरी दुनिया ने बन्दूक लिए गोली चलाते खुद देखा उसे भी दोषी सिद्ध करने की आवश्यकता लगी | काश इन अंग्रेजों ने एक भी चीज सही सलामत इजाद की होती |
खैर इसे जो भी सज़ा मिले वो कम है किन्तु लाल रंग की लाइनों पर मेरी आपत्ति है | मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि कसाब उसके लायक है या नहीं |
वह कठोरतम मृत्यु का अधिकारी है किन्तु मैं निर्दोष लोगों को क्रूर हत्यारा बनाने के पक्ष में भी नहीं हूँ |