स्मृति शेष श्री विजयदान देथा, जो अपने चाहने वालों के लिए सिर्फ बिज्जी थे, सही मायनों में हिंदुस्तानी वाचिक परंपरा के किस्सागो थे. चेखव ने कहा था महान लेखक सिर्फ अपनी जुबान में लिखा करते हैं. विजयदान देथा ने ताउम्र अपनी जुबान राजस्थानी में ही लिखा......