Re: वैज्ञानिक यह कहते हैं ...
यूरोपीय लोगों की ही तरह कुछ भारतीयों में भी त्वचा संबंधी बदलाव :अध्ययन
हैदराबाद। एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि यूरोपीय लोगों और कुछ भारतीयों में त्वचा के जीन का उत्परिवर्तन एक समान होता है। हैदराबाद में सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायलोजी (सीसीएमबी) के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता के थंगाराज ने यहां कहा कि अभी तक किये गये आनुवांशिकी अध्ययनों से यूरोपीय लोगों की पिगमेंटेशन (रंग संबंधी) आनुवांशिकी को समझने में मदद मिलती है, लेकिन दक्षिण एशियाई लोगों के बारे में इस तरह का कोई परिणाम नहीं निकला था जिनके त्वचा के रंग में काफी विविधता होती है। सीसीएमबी ने कहा कि यूनिवर्सिटी आॅफ तारतू-एस्टोनिया, सीसीएमबी और कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने त्वचा के रंग संबंधी एक महत्वपूर्ण जीन ‘एसएलसी24ए5’ का अध्ययन किया था और अपने परिणामों को पीएलओएस जेनेटिक्स में प्रकाशित किया। थंगाराज ने कहा, ‘‘हमने भारत के एक समरूपी वर्ग का अध्ययन किया और पता चला कि एसएलसी24ए5 जीन पिगमेंटेशन की विविधताओं को विस्तार से बताता है।’’ अध्ययन का ब्योरा देते हुए थंगाराज ने कहा कि लोगों के बीच मानव त्वचा के रंग में काफी परिवर्तन देखने को मिलता है यह अनुकूल विकास का एक अच्छा उदाहरण है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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