Re: Bollywood Reporter (बॉलीवुड रिपोर्टर)
गाने और डांस भारतीय सिनेमा की ताकत : गिरीश कर्नाड
नई दिल्ली। प्रख्यात अभिनेता और नाटककार गिरीश कर्नाड मानते हैं कि भारतीय सिनेमा ने अपने गीतों और नृत्य की परंपरा के कारण भारत में हालीवुड के प्रभाव को पांव जमाने नहीं दिया। कर्नाड ने यहां संवाददाताओं से कहा, अगर हम सत्यजीत रे की तरह की फिल्म, जो बगैर नाच गाने की हुआ करती थीं, बनाते, तो हालीवुड अब तक हमें निगल चुका होता। आज इतालवी सिनेमा कहां है, जापानी सिनेमा क्या रह गया है और यहां तक कि फ्रांसीसी सिनेमा भी हालीवुड से मुकाबला नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, हमें चिंता नहीं करनी चाहिये। हमारे नाच गानों की परंपरा हमारा कवच बना है। तो हम अपनी ताकत क्यों खो जाने दें। कर्नाड ने हाल ही में सलमान खान अभिनीत ‘एक था टाइगर’ फिल्म में अभिनय किया था। उनका मानना है कि भारतीय सिनेमा अपना बेहतर काम कर रहा है और इसकी सफलता और असफलता को पश्चिमी सिनेमा की सफलता..असफलता के मानदंड से नहीं जांचा जाना चाहिये। कर्नाड ने कहा, मुझे लगता है कि जो फिल्में बनाई जा रही हैं, वो बेहतर हैं। हमें इसकी तुलना पश्चिमी मानदंड के हिसाब से नहीं करनी चाहिये। हम चिंता व्यक्त करते हैं कि हमारी फिल्मों को आस्कर क्यों नहीं मिलता। हमें आस्कर की क्या जररत है। संगीतकार ए आर रहमान को आस्कर मिला और वह अचानक महान हो गये लेकिन वह आस्कर मिलने से पहले भी महान थे। मैं फिल्म ‘शिप आफ थिसियस’ का उदाहरण देता हूं। आज से 10 वर्ष पहले इस तरह की फिल्म बनाना असंभव था। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता 75 वर्षीय लेखक-निर्देशक-अभिनेता राजधानी में 26वें जवाहरलाल नेहरू स्मारक इफ्को व्याख्यान में ‘भारतीय सिनेमा और एक राष्ट्र का निर्माण’ विषय पर व्याख्यान देने आये थे। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि कैसे हिन्दी सिनेमा ने बगैर सचेतन हुए राष्ट्र निर्माण के काम में भूमिका निभाई। कर्नाड ने कहा कि हिन्दी सिनेमा बगैर कोई क्षेत्रीय चरित्र अख्तियार किये अधिकतम दर्शकों को पाने के प्रयास में नये मुहावरों, नई भाषा और नये संगीत को रचा जिसे पूरा देश स्वीकार कर सके। उन्होंने ‘फिल्म देवदास’ का उदाहरण देते हुए कहा कि अधिकांश क्षेत्रीय सिनेमा ने अपने भाषा विशेष के बाजार पर ध्यान केन्द्रित किया लेकिन अपने आरंभ से ही हिन्दी सिनेमा ने पूरे भारत को अपने दायरे में रखकर सोचा। उसने हिन्दी क्षेत्र विशेष की समस्याओं को पूरी तरह से नजरअंदाज किया और बहुत सावधानी से ऐसी फिल्में बनाई जो देश के हर कोने में पसंद की जा सके। उन्होंने हिन्दी सिनेमा को इस बात का भी श्रेय दिया कि उसने गैर हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भी हिन्दी का प्रसार किया।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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