Re: किस्सागोई के आखिरी शहंशाह.....
विजयदान देथा को श्रद्धांजलि स्वरुप प्रस्तुत इस आलेख के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. विजयदान जी की ख्याति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत भर में साहित्य-प्रेमी पाठकों को उनका साहित्य अपनी-अपनी भाषा में उपलब्ध है. ऐसा सम्मान बहुत कम लेखको को प्राप्त होता है.
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