बढ़ती दुनिया सिकुड़ते रिश्ते
दोस्तोँ , देखते - देखते हमारी दुनिया का स्वरूप बदल गया । हमारी दुनिया का दायरा बड़ा हो गया और हम गाँव , कस्बोँ से निकल कर ग्लोबल ( वैश्विक ) हो गये हैँ । मोहल्ले - टोले से ज्यादा इंटरनेट से जुड़ चुके हैँ । दुनिया के इस फैलाव ने हमारे संयुक्त परिवारोँ को निगल कर एकल परिवार मेँ सीमित कर दिया है । तो आइये हम आप अपने अनुभव और विचार शेयर करेँ ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
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