Re: 6 होनहार खिलाड़ियों संग हुई नाइंसाफी
दूसरा सवाल : अगर गंभीर नहीं तो रायुडू क्यों?
गौतम गंभीर को चयनकर्ताओं ने बाहर ही रखा। मुरली विजय की तकनीक घरेलू पिचों तक सीमित है। यह फैक्ट शायद अनुभवी सेलेक्टर्स को समझ नहीं आया। उन्होंने एक मैच को आधार बनाकर इशांत को तो मौका दे दिया, लेकिन गौतम गंभीर को लगातार पारियों में 50 प्लस रन बनाने के बावजूद बाहर बैठाया गया। सेलेक्शन में किए गए इस भेदभाव से प्रशंसक हैरान हैं।
गंभीर ने दिल्ली टीम की कप्तानी करते हुए इस नए सीजन में शानदार प्रदर्शन किया है।
बनाम हरियाणा - 29, 153
बनाम मुंबई - 64, 51*
बनाम गुजरात - 31, 44
बनाम वेस्ट इंडीज ए - 123
रणजी की सबसे तगड़ी टीम मुंबई के खिलाफ उन्होंने दोनों पारियों में हाफ सेंचुरी लगाई। उसके बाद हरियाणा के खिलाफ मैच में शतक लगाया। हरियाणा के ही विरुद्ध इशांत ने 9 विकेट भी लिए, लेकिन वे टीम में हैं और गंभीर नहीं।
गंभीर की अनदेखी के साथ ही टीम में अंबाति रायुडू को लिए जाने पर भी विवाद है। रायुडू को टीम में साथ ले जाने का कोई तर्क समझ नहीं आता।
यदि सेलेक्टर्स गंभीर को नहीं लेना चाहते थे तो भी क्या रायडू के स्थान पर किसी युवा बल्लेबाज को मौका नहीं दिया जा सकता था, जो कि विदेशी टूर का अनुभव लेता?
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