बहादुर बाला के हौसले का सम्मान......
अरुणिमा सिन्हा को मिलेगा माटी रतन पुरस्कार......
एवरेस्ट फतह किया लेकिन पुलिस से हार गई अरुणिमा.....
करीब दो महीने बाद पुलिस के हत्थे अरुणिमा का मोबाइल व सिम लगा। चनेहटी के पास ही रहने वाले एक रिक्शा चालक के पास से अरुणिमा दोनों चीजें बरामद हुईं। रिक्शा चालक ने बताया कि 12 अप्रैल का सुबह वह घर जा रहा था, तभी उसे एक मोबाइल मिला। जीआरपी ने अरुणिमा के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई। उससे भी कुछ हासिल नहीं हो सका। इसके बाद पुलिस उसके एसएमएस की डिटेल निकलवाना चाहती थी। लिहाजा सिम को सीबीआइ की लैब में भेजा गया।
जीआरपी की पूरी जांच सीबीआइ की लैब रिपोर्ट पर टिककर रह गई थी। करीब छह महीने बाद जब रिपोर्ट आई तो पुलिस को मायूसी हाथ लगी। रिपोर्ट में कोई एसएमएस न भेजना पाया गया। इसके बाद जीआरपी पूरी तरह से निराश हो गई। लुटेरों को पकड़ने के बजाए जीआरपी ने मुकदमे को झूठा साबित करते हुए कुछ महीनों पहले फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिया। एसपी रेलवे आरके भारद्वाज का कहना है कि अरुणिमा ने जो बयान दिए गए थे वह जांच में झूठे पाए गए। तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद ही मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है.......