Re: डॉ. कुमार विश्वास की कवितायेँ!
कुमार विश्वाश ......................
................... कुछ खाश है .....
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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