Re: बाबू लोहा सिंह
चौपाल के एक ठो डायलोग हमरो याद है
"राम राम मुखिया जी
राम राम बटुक भाय"
बस आगे सब भूल गया
यहाँ तक की कार्यक्रम का नाम भी, आपके दिलाये याद आया की उ चौपाल था
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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