भू-पर्यटन
सुनामी
समुद्र के तट पर्यटकों की सूची में सदा वरीयता पर रहे हैं। आज भी इनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं। जहाजरानी उद्योग पर्यटकों को सागर की रोमांचक सैर करवा रहा है। सागर के रेतीले तट पर्यटकों से पटे पड़े हैं, लेकिन यहाँ भी एक विनाशकारी भौगोलिक घटना अपनी ताकत से स्थानीय शासन, पर्यटकों, और इस उद्योग से जुड़े लोगों के मन में डर की सिहरन पैदा कर देती है और वह है सुनामी।
इसे जापानी में त्सुनामी कहते हैं, यानी बंदरगाह के निकट की प्रचंड सागरीय लहर। समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है जिससे ऐसी लंबी और बहुत ऊँची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त आवेग के साथ आगे बढ़ता है। यह अत्यधिक विनाशकारी होता है। उल्लेखनीय है कि 26 दिसंबर 2004 को आई सुनामी लहरों से भारत सहित 13 देशों में दो लाख से अधिक लोग मारे गए थे। केवल भारत में इसके कारण 10 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई थी और पर्यटन को खासा नुक्सान पहुँचा था।
हिंद महासागर के अलावा कैरीबियाई द्वीप समूहों और मैडिटेरेनियन क्षेत्रों में भी सुनामी का आतंक देखा गया है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र की वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक शाखा (यूनेस्को) ने विश्व के अनेक भागों में सुनामी की चेतावनी देने वाली प्रणाली लगाई है।
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Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||
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