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Originally Posted by internetpremi
हम सलमान खान के fan नहीं हैं और उनकी फिल्में देखना पसन्द नहीं करते।
यहाँ कैलिफ़ोर्निया में पिछले सप्ताह हम "डेढ़ इष्किया" देखने गए थे, पत्नि के साथ।
हर जगह, इंटर-नेट पर, अलोचक इसकी प्रशंसा कर रहे थे।
बडी उम्मीदें लेकर हम भी इसे देखने गए।
पता नहीं मुझ में क्या कमी है, पर हम ज्यादा enjoy नहीं कर सके।
एक तो हमारी उर्दू कुछ कमज़ोर है। शेर, शायरी का हमें कोई खास शौक नही। हमारी समझ में नहीं आती।
पर "शतरंज के खिलाडी" और "पाकीज़ा" हमें बहुत अच्छी लगी थी और हम ने सोचा इस फिल्म का भी हम आनन्द उठा सकेंगे।
पर हम निराश होकर वापस आए। वैसे ज्यादा बोर तो नहीं हुए पर हमें sequences, घटनाएं समझने में कठिनाई महसूस हुई। ये आधुनिक Director लोगों का Style हमें अच्छी नहीं लगती। बाद में इस फ़िल्म के बारे में पढकर थोडी बहुत कहानी समझ में आई। यह भी पता चला कि इसमें lesbian overtones हैं जो बडी खूबसूरती और संवेदनशील ढंग से दर्शाया गया है पर हमें फिल्म देखते समय कुछ नहीं मालूम पडा। किस scene में? कहाँ। शायद हम इस मामले में कुछ innocent हैं। हम तो पहचानना भी नहीं जानते क्या लेस्बियन क्रिया है क्या नहीं।
प्रति टिकट का बारह डॉलर । पॉपकॉर्न / कॉफ़्फ़ी का खर्च सो अलग। करीब ३०-३५ डॉलर का चूना लगवाकर घर वापस आए। काश हम इसे भारत लौटने के बाद देखते। काफ़ी पैसा बच जाता था।
मेरी बातों पर मत जाइए। शायद आप लोग इस फिल्म को पसन्द करेंगे।
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You are not wrong at all. Indian movies are extremely hard to enjoy if you are even a bit cynical. A simple movie is praised to high heavens here. I don't remember having fun watching either Ishqiya or Dedh Ishqiya. Actually, I don't even remember enjoying any Indian movie for quite a while.