Re: लोककथा संसार
झारखंड की लोककथा
लालच का फल
एक गांव में एक समृद्ध व्यक्ति रहता था. उसके पास धातु से बने हुए कई बरतन थे. गांव के लोग शादी आदि के अवसरों पर यह बरतन उससे मांग लिया करते थे. एक बार एक आदमी ने ये बरतन मांगे. वापस करते समय उसने कुछ छोटे बरतन बढा कर दिये.
समृद्ध व्यक्ति ने पूछा- बरतन कैसे बढ गये?
उसने कहा- मांग कर ले जाने वाले बरतनों में से कुछ गर्भ से थे. उनके छोटे बधे हुए हैं.
समृद्ध व्यक्ति को छोटे बरतनों से लोभ हो गया. उसने बरतन लौटाने वाले व्यक्ति को ऐसे देखा, जैसे उसे कहानी पर विश्वास हो गया हो. उसने सारे बरतन रख लिये.
कुछ दिन बाद वही व्यक्ति फिर से बरतन मांगने आया. समृद्ध व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए बरतन दे दिये. काफी समय तक बरतन वापस नहीं मिले.
इस पर बरतनों के मालिक ने इसका कारण पूछा.
बरतन मांग कर ले जाने वाले व्यक्ति ने जवाब दिया- मैं वह बरतन नहीं दे सकता, क्योंकि उनकी मृत्यु हो गयी है.
समृद्ध व्यक्ति ने पूछा- परंतु बरतन कैसे मर सकते हैं?
उत्तर मिला- यदि बरतन बधे दे सकते हैं, तो वे मर भी सकते हैं.
अब उस समृद्ध व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह हाथ मलता रह गया.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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