Re: शराबियों की प्रशंसा में
खैर वो कितना भी सीधा-सादा था पर गणित विषय में उसका गज़ब दिमाग चलता था | अंग्रेजी में जरूर कमज़ोर था पर अन्य विषयो पर उसकी अच्छी पकड़ थी, इसी कारण से उसे इंजीनियरिंग में आसानी से दाखिला भी मिल गया | पर जैसे ही वो इंजीनियरिंग कालेज में पंहुचा, उसके तो रंग-ढंग ही बदल गये | कच्छे-बनियान में पूरा बाज़ार घुमने वाला मुकुंद्बिहारी अब केवल स्किन टाइट जीन्स और टी-शर्ट में ही दिखाई देता था | कालेज के पहले ही साल में सिगरेट-दारू सब चालू कर दिया | गाँव की गाज़र-घास अब शहर का चलता-पुर्जा बन चुका था | उसके ऐसे हाल पर मुझे अच्छा नहीं लगा, एक तो वो पुराना वाला मुकुंद्बिहारी नहीं रहा बल्कि कूल डूड ऍमबी बन चुका था | उस पर पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा था | उसे कई सारे सब्जेक्ट में ब्रेक लग चुके थे| पर इससे पहले मैं उसे कुछ कहता, उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वो पूरी तरह से बदल गया | उसके क्लास में एक लड़की थी जो कालेज के पहले दिन से उसकी दोस्त बन गयी थी |
कालेज के शुरुआती दिनों में तो मुकुंद्बिहारी बहुत ही सीधा-सादा था और वो लड़की निहायत ही ख़ूबसूरत थी | शुरुआत में तो ये केवल दोस्ती तक सीमित थी पर फाइनल इयर तक प्यार में तब्दील हो चुकी थी | बेचारा मुकुंद्बिहारी उसके लिए बहुत इमोशनल होने लगा था |पर इस प्यार का उसे बहुत फायदा हुआ | पहले तो वो हर आधे घंटे में सिगरेट पीता था, पर प्यार होने के बाद उसे कभी उस लड़की के अलावा किसी चीज़ की जरूरत महसूस ही नहीं हुई | इस तरह से सिगरेट हमेशा के लिये उससे छूट गयी | लड़की के साथ में रहकर वो पढ़ाई पर भी ध्यान देने लग गया था | इसका फायदा ये हुआ की फाइनल इयर में उसने अच्छा स्कोर किया और एक कंपनी में प्लेसमेंट भी हो गया | रही बात शराब पीने की तो वो लड़की एक दिन उसे किसी साधू के प्रवचन में ले गयी, जहा साधू बाबा ने सभी लोगो को शराब ना पीने की शपथ दिलवा दी | और इस तरह से उसने शराब से भी तौबा कर ली |
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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