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Old 14-02-2014, 06:23 PM   #4
rajnish manga
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Default Re: शराबियों की प्रशंसा में

जो मुकुंद्बिहारी स्कूल में गाज़र घास था, कोलेज में चालू पुर्जा बना, नौकरी लगने के बाद पक्का प्रोफेशनल बन गया था | घर से ऑफिस और ऑफिस से घर, यही उसकी ज़िन्दगी हो चुकी थी | मुझसे भी काफी दिनों में ही मुलाकात हो पाती थी | ऐसे में उसका अचानक फ़ोन आना और मुझे लाइट हार्ट बारमें बुलाना कुछ समझ में नहीं आ रहा था | खैर मैं जब लाइट हार्ट बारमें पंहुचा तो मुझे देखते ही बोला मुझे पता था की कोई आये ना आये तू जरूर आएगा, बस तू ही अपना सच्चा दोस्त हैं |’ उसका ऐसा बोलना था कि मैं समझ गया की वो कम से कम दौ पेग डाउन हैं | मेने पूछा क्या हुआ तो वो बोलने लगा आज कुछ नहीं बोलेगा, आज बस सेलेब्रशन होगा | वो डायन मुझसे झगडा करके मायके गयी हैं |’ अब मुझे समझते देर नहीं लगी कि वो किसे डायन कह रहा हैं | आगे मैं कुछ उससे पूछता उससे पहले उसने ही सब कुछ बता दिया – ‘ क्या नहीं किया उसके लिए मेनेसिगरेट छोड़ दी दारू छोड़ दीये दौ कौड़ी की नौकरी कर लीयहाँ तक के अपने माँ-बाप के गाँव जाना भी छोड़ दिया | पर उसने क्या किया मेरे लियेकुछ नहींमेरी सेलेरी पर ऐश करती हैं मेरा बनाया हुआ खाना खाती हैं और मेरा ही कोई ख्याल नहींरखती साली | मेरे माँ-बाप कभी-कभार यहाँ आते हैं तो उन्हें भी परेशान करके भगा देती हैं | जब से शादी हुई हैं, हंसना भी भूल गया हूँ | दिन भर ऑफिस में मरता रहता हूँ और घर आकर इसके नखरे उठाता रहता हूँ | वीकेंड में भीदिन भर बस मेरी छाती पर ही लौट लगाती हैं | आज उससे बहुत झगडा हुआ और उसको मेने घर से भगा दिया …(फिर थोड़ी देर रुककर)भगा क्या दिया, खुद ही मुझे छोड़कर चली गयी ‘ (इतना कहना था की उसके चेहरे पे अजीब से ख़ामोशी छा गयी )|
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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