Re: आँसुओं में बह जाती है उदासी
उदास रहने से व्यक्ति का किसी भी कार्य करने में मन नहीं लगता। वह स्वयं को एकाकी महसूस करता है। हर क्षेत्र में उसे नीरसता प्रतीत होती हैं। उसका संबंध खुशी एवं प्रसन्नता से बिल्कुल टूट जाता है। जीना तक बेमानी लगता है। ऐसे में वह क्षणिक उत्तेजना अथवा आवेग के वशीभूत हो या तो अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता हैं। अथवा स्वस्थ चिंतन के अभाव में वह दर्ुव्यसनों को अपनाकर बुरे कर्मों में लग जाता है।
यदि आपका दिल किसी भी काम मेंनहीं लगता, यदि आपके कुछ भी अच्छा नहीं लगता, यदि आपको भविष्य की आशा की कोई किरण नहीं दिखाई देती है तो निश्चित ही आपको उदासी ने घेर रखा है। यदि आपकी हंसी गुम हो चुकी है, हंसते, खेलते चेहरे भी अच्छे न लगें, प्यारे व प्रिय व्यक्ति से भी मिलने की इच्छा न हो तो आपको बेहद खतरनाक निराशा, हताशा एवं उदासीनता रूपी मानसिक व्याधियों ने घेर लिया है। यदि आप स्वयं में ये लक्षण पाते हैं तो सावधान हो जायें। आप निम्नलिखित उपायों को अपना कर अपने जीवन को पुनः सरल एवं खुशहाल बना सकते हैं।
नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति अपने आपको तरोताजा एवं स्वस्थ महसूस करता है। नियमित व्यायाम तमाम व्याधियों का सरलतम उपचार हैं। डा. राबर्ट एस. ब्राउन के अनुसार ‘व्यायाम से आदमी ऐसे रसायनिक एवं मानसिक परिवर्तन महसूस करता है जिससे वह उत्तरोत्तर मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करता हैंव्यायाम से रक्त में हार्मोन्स का स्तर बदल जाता है। मनोदशा को प्रभावित करने वाले मस्तिष्क के रसायनिक पदार्थ बीटा एंडर्फिन की मात्रा भी व्यायाम से बढ़ती है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 15-02-2014 at 08:01 PM.
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