Re: आँसुओं में बह जाती है उदासी
उदासीनता की मनोदशा में व्यक्ति स्वयं को असहाय, निर्बल एवं हीन भावना से ग्रस्त पाता है लेकिन व्यायाम व्यक्ति में एक विश्वास जगाता है कि वह असहाय नहीं है। व्यक्ति स्वयं को प्रत्येक कार्य के लिए सक्षम एवं चुस्त महसूस करता है। साधारण व्यायाम जैसे दौड़ना, रस्सी कूदना अथवा योगासन करने से आपके शरीर को अधिक से अधिक मात्रा में आक्सीजन मिलती है जो मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। नियमित व्यायाम करने से थोड़े दिन बाद ही आप स्वयं को मानसिक रूप में स्वस्थ महसूस करेंगे।
समस्याओं को सुलझाएं- कुछ लोग उदासी को दूर करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते हैं लेकिन इससे उदासी हमेशा के लिए दूर नहीं चली जाती। उदासी को दूर करने के लिए आपको सतर्कता, समस्या का समाधान एवं सचेष्ट रहने की आवश्यकता होती है। स्वयं को सकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत करें। जैसे कि यदि आपके किसी मित्र ने आपको यह कह दिया कि आप फलां कार्य नहीं कर सकते तो स्वयं की मनोदशा को उस कार्य को करने के अनुकूल बनाएं। फिर आप देखेंगे कि दुनिया की कोई ताकत आत्मविश्वास से परिपूर्ण होने पर आपको उदास नहीं बना सकती।
पौष्टिक भोजन कीजिएः- कहा जाता रहा है कि ‘जैसा खाएं अन्न, वैसा रहे मन।’ चिकित्सकों की आम राय है कि हम जैसा भोजन करते हैं, तदनुरूप ही उसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। विटामिन ‘बी’ एवं अमीनों अम्ल का मानसिक स्वास्थ्य पर विशिष्ट प्रभाव होता है। आमतौर पर देखा जाता है कि संवेदनशील लोगों के भोजन में किसी एक पोषक तत्व की कमी भी दुशिंचताओं से घेर लेती है। वस्तुतः पौष्टिक आहार हमारी मनः स्थिति को उदासी से मुक्त रखता है।
दवाओं का सेवन सावधानी से कीजिएः- कभी-कभी कुछ दवाइयों के नियमित सेवन के पश्चात उनकी प्रतिक्रिया भी उदासी को जन्म देती है। गर्भ निरोध के लिए खाई जाने वाली दवाएं, दर्दनाशक दवाएं, एंटीबायोटिक दवाएं हाईब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने वाली दवाओं आदि के प्रतिक्रिया स्वरूप भी उदासी का प्रभाव बढ़ सकता है।
मानसिक अवसाद बढ़ने से आप में उदासी की भावना घर कर सकती है। इस कारण आपको निराशा, हताशा चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, किसी काम में दिल न लगना, एकाग्रता का भंग हो जाता है, आत्महत्या जैसे हीन विचारों का अनुभव हो सकता है।
यदि ये लक्षण आपको स्वयं में नजर आएं तो आप उपर्युक्त बातों पर विशेष ध्यान दें तथा शीघ्र ही अपने चिकित्सक से परामर्श लें। यकीनन इससे आपकी उदासी दूर हो जाएगी और आप स्वयं को स्वस्थ महसूस करेंगे। फिर आपको सब कुछ सामान्य एवं अच्छा लगने लगेगा।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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