Re: कैसे कैसे डॉक्टर साहब ..
वह अपने घर पर बैठा कुछ काम कर रहा था। एक वयोवृद्ध, शुभचिंतक गुस्से में आये। बोले, "अलबर्ट! हमें तुमसे बहुत शिकायत है!"
"कहिये, कहिये, क्या बात है?"
"हमने सुना है कि तुम डॉक्टरी पढ़ने जा रहे हो।"
"जी हां! मैंने यही फैसला किया है।"
"तुम जैसा विद्वान धर्मशास्त्र का पंडित्, संगीत का आचार्य अपने उपदेशों से बड़ा उपकार कर सकता है। तुमको डॉक्टरी पढ़ने की क्या जरुरत है?"
"नहीं-नहीं। मैं डाक्टर इस वास्ते बनना चाहता हूं ताकि बिना मुंह खोले कुछ काम कर सकूं दीन दुखियों की सेवा कर सकूं; प्रेमरुपी धर्म को अमल में उतार सकूं।"
"तुम्हारे जैसे सब हो जायें तब तो आफत ही हो जायेगी।" यह कहकहर बड़बड़ाता हुआ वह बूढ़ा चला गया।
"तुम बड़े विचित्र आदमी हो!" एक मित्र ने कहा।
"क्या हुआ?"
"सुना है कि तुम्हारा इरादा अफ्रीका जाकर वहां के जंगली लोगों के बीच रहने का है!"
"हां, तुमने ठीक सुना है।"
"वे लोग तो बड़े अशिक्षित, अपढ़, असभ्य हैं!"
"इसकी जिम्मेदारी किसकी है?" दर्द के साथ अलबर्ट ने पूछा।
"जिम्मेदारी किसकी होती?"
"तुम्हें जानना चाहिए, मेरे दोस्त, कि यह जिम्मेदारी हमारी और सारे यूरोप वालों की है।"
"कैसे?"
"उन पर अपना साम्राज्य स्थापित कर हमने उनके साथ बड़ा अन्याय किया है। तरह तरह का अत्याचार किया है। उनके बीच बीमारियां फैलाई हैं, उन्हें नशीली चीजों का आदी बनाया है। ....बड़े भयानक हैं हमारे कारनामे!"
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 17-02-2014 at 01:39 PM.
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