गेटिज़बर्ग का प्रसिद्ध भाषण या सम्बोधन
“सत्तासी वर्ष पहलेहमारे पूर्वजों ने इस महाद्वीप पर एक नये राष्ट्र की नींव रखी, जिसकी संकल्पना स्वतंत्रता के आदर्श में ढली थी, और जो इस सोच को समर्पित था कि सभी इंसान समान बनाए गए हैं।
आज हम एक भयंकर गुहयुद्ध लड़ रहें हैं, यह आज़माने के लिये कि क्या यह राष्ट्र, या कोई भी राष्ट्र, जो ऐसे संकल्पित हो और समर्पित हो, लंबे समय तक क़ायम रह सकता है? हम उस जंग के एक महान युद्धस्थलपर खड़े हैं। हम उस भूमि का एक अंश उनकी अंतिम विश्राम स्थली के रूप में समर्पित करने आये हैं जो यहाँ शहीद हुये ताकि राष्ट्र जीवित रह सके। यह सर्वथा उपयुक्त है और सही भी है कि आज हम ऐसा करें।
लेकिन, बड़े मायनों में, हम इस ज़मीन को न तो उनकी याद में समर्पित कर सकते हैं और न ही उसे पवित्रता दे सकते हैं। वे वीर पुरुष, जीवित और मृत, जो यहाँ जूझे, इसको इतना पवित्र बना चुके हैं कि हम में इसको कम या ज़्यादा करने की क्षमता है ही नहीं। हम आज यहाँ क्या कहते हैं, इसकी दुनिया को न ज़्यादा परवाह होगी और न ही ज़्यादा देर उसे याद रखेगी, लेकिन वे जो काम कर गए हैं वह सदा अविस्मरणीय रहेगा। बल्कि हम, जो पीछे जीवित रह गये हैं, स्वयं उस अधूरे कार्य के निमित्त समर्पित हो जायें जिसे यहाँ लड़ने वालों ने इतनी शान से आगे बढ़ाया – उन महान शहीदों से श्रद्धापूर्वक प्रेरणा लेते हुये उस ध्येय के लिये और भी अधिक समर्पण-भाव से जुट जायें जिस के लिए वे अपना सर्वस्व न्यौछावर कर गए – आज हम यहाँ ठान लें कि अपनी जान की बाज़ी लगा देने वाले शहीदों की कुर्बानियां व्यर्थ नहीं गयीं – कि यह राष्ट्र, ईश्वर के अधीन, एक नई स्वतंत्रता में जन्म लेगा – जहाँ जनता की सरकार होगी, जनता के द्वारा और जनता के लिए, वह इस दुनिया से कभी ख़त्म नहीं होगी।“
उक्त भाषण से जुड़ी प्रमुख बातें:
1. "सतास्सी वर्ष पहले" से लिंकन का अर्थ था सन् 1776, जब अमेरिका स्वतंत्र हुआ और आधुनिक विश्व का पहला लोकतंत्र बना।
2.गॅटीस्बर्ग में अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान तीन दिन (जुलाई 1 से जुलाई 3, 1863 तक) भयंकर लड़ाई हुई थीं, जिसमें लगभग 8,000 लोग मारे गए और 42,000 ज़ख़्मी हुए। इस मुठभेड़ के बाद उत्तरी संघीय सेना की दक्षीणी परिसंघीय सेना के ऊपर जीत निश्चित हो गई थी।
3. "वह सरकार जो जनता की हो, जनता से हो, जनता के लिए हो" अब लोकतान्त्रिक शासन की एक अनौपचारिक परिभाषा बन गई है। "जनता की सरकार" का अर्थ हुआ के शासक साधारण जनता के ही सदस्य हैं, किसी विशेष शाही वर्ग के नहीं।
(विकिपीडिया आधारित)