ग़ज़ल- चोट दे ने मुझे रुलाने आ
ग़ज़ल- चोट दे ने मुझे रुलाने आ
॰ ॰ ॰
चोट दे ने मुझे रुलाने आ
फिर से जलवा वही दिखाने आ
अब तो खुशियाँ हमेँ डरातीँ हैँ
ग़म की दुनियाँ जरा बसाने आ
मेरे आँसू उदास रहतेँ हैँ
इनको फिर से गले लगाने आ
अब ये आहेँ भी आह भरतीँ हैँ
झूठे वादे लिये पुराने आ
कौन जाने "आकाश" क्या होगा
वक्त को भी तूँ आजमाने आ
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
॰ ॰ ॰
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
महेशपुर, कुबेरस्थान, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
09919080399
|