12-03-2014, 02:48 PM
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#268
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
तुम लोगों से कहते फिरोगे, मुझे चाहो उसकी तरह,
हमारे बाद नहीं आयेगा, तुम्हें चाहत का ऐसा मज़ा...
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उपरोक्त शे'र को निम्नलिखित दोहे की रोशनी में देखें:
जे सुलगे ते बुझी गये बुझे ते सुलगे नाहिं!
रहिमन दाहे प्रेम के बुझि बुझि कै सुलगाहिं!
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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