Re: मुहावरों की कहानी
ऊंट के गले में बिल्ली
किसी गाँव में एक आदमी का ऊंट खो गया. बहुत खोजा लेकिन ऊंट नहीं मिला. वह परेशान हो गया. हताश हो कर उसने कसम खायी कि अगर ऊंट अब मिल भी गया तो उसे अपने पास नहीं रखूँगा बल्कि उसे सो पैसे में बेच दूंगा. यह कसम उसने अपने कई जानने वालों के सामने खाई थी.
करनी करतार की यह हुयी कि ऊंट दो दिन बाद उसे मिल गया. वह बहुत शशोपंज में पड़ गया. अब कसम को कैसे पूरा करे. ऊंट भी उसके लिये बहुत जरुरी था. उसने अपने एक मित्र से सलाह-मशविरा किया. मित्र ने उसे एक तरकीब सुझाई कि तुम ऊंट के गले में बिल्ली बाँध दो और ढिंढोरा पिटवा दो कि “ऊंट की कीमत दो टके होगी और बिल्ली की कीमत दो सौ रूपए. दोनों को एक साथ बेचूंगा अलग अलग नहीं. कोई भी इतनी रकम चुका कर पशुओं को ले जा सकता है. मित्र ने कहा कि इस तरह से ‘सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी’ यानि तुम्हारी कसम भी पूरी हो जायेगी और तुम्हें घाटा भी नहीं पड़ेगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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