Re: इक दिन हमको जाना होगा
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Originally Posted by आकाश महेशपुरी
इक दिन हमको जाना होगा
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जीवन की ये ठेला गाड़ी
जाने कबसे खीँच रहे हैँ
जैसे आँसू की बूँदोँ से
मरुथल कोई सीँच रहे हैँ
रचना- आकाश महेशपुरी
aakash maheshpuri
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सदा की तरह यह रचना भी पढ़ कर मन संतुष्ट हुआ.
कवि की प्रतिभा को लेकर विश्वास और भी पुष्ट हुआ.
टाइपिंग के कुछ दोष हैं जो ठीक किये जा सकते हैं, जैसे: सून्य / रिस्ते (दो स्थानों पर)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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