Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पुराणों में मंगल ग्रह: स्वरूप एवम प्रकृति
मत्स्य पुराण के अनुसार मंगलचतुर्भुज, लाल वर्ण का, नवयुवक, लाल रंग के पदार्थों का प्रतिनिधित्व करने वाला है.
अग्निर्विकेश्याम जज्ञे तु युवासौ लोहिताधिपः
अर्थात स्वयं अग्निदेव ही भूमि के गर्भ से मंगलके रूप में उत्पन्न हुए हैं.
नारद पुराण में मंगल को पित्त प्रधान, क्रूर दृष्टि वाला, युवक, चंचल स्वभाव का कहा गया है.
मंगल की गति
गरुड़ पुराण के अनुसार भूमिपुत्र मंगल का रथ स्वर्ण के समान कांचन वर्ण का है. उसमें अरुण वर्ण के अग्नि से प्रादुर्भूत आठ अश्व जुते हुए हैं. मंगल मार्गी और वक्री दोनों गति से चलते हैं तथा बारह राशियों का भ्रमण लगभग अठारह महीने में कर लेते हैं.
मंगल ग्रह: वैज्ञानिक परिचय
सौर मंडल में मंगल का स्थान सूर्य से चौथा है.Iron oxide की अधिकताके कारण इस का रंग लाल प्रतीत होता है. रोमन युद्ध के देवता के नाम पर इसका नाम Mars रखा गया है. मंगल के दो चन्द्रमा Phobos और Deimos हैं. इसका क्षेत्रफल पृथ्वी से लगभग आधा है. यह सूर्य की परिक्रमा 687 दिन में तथा अपनी धुरी पर 24 घंटे 39 मिनट 35.244 सैकिंड में करता है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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