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Originally Posted by Kumar Anil
एक बात कहना चाहूँगा कि मेरे आचार्य आदरणीय पवनपुत्र शर्मा जी का आग्रह है कि सामाजिक कुरीतियोँ पर कुछ तफ़सील से लिखूँ । आपके संज्ञान मेँ लाना चाहूँगा कि चूँकि मैँ मोबाइल से लॉग इन करता हूँ अतएव टंकण मेँ व्यवहारिक दिक्कतेँ एवं समय का भारी व्यय होता है परन्तु फोरम से अतिशय प्रेम इसके लिये भरपूर शक्ति प्रदान कर देता है और मैँ जुट जाता हूँ अतिरिक्त ऊर्जा के साथ । तो गुरुदेव आपका आदेश शिरोधार्य है , शीघ्र ही ज़बाब दूँगा ।
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ये लो करलो बात ! एक दम नया नामकरण !
सोच रहा हूँ कि अपनी आई डी यही रख लूं. " आचार्य पवनपुत्र शर्मा "
अनिल जी अब जब आपने मुझे गुरु मान ही लिया है तो मुझे भी अपना फर्ज निभाते हुए आपको और समय तो देना ही पड़ेगा. आप निश्चिन्त होकर आराम से सोच समझ कर जवाब दें क्योंकि मुझे पता है कि आपका ये जवाब जाने कितनो को अपने भावी जीवन की दिशा तय करने में मदद करेगा.
और हाँ एक बात और गुरु दक्षिणा अभी बाकी है !