Re: सही सरकार मिल कर चुनें....bansi
यहाँ आपने परिवर्तन के मुद्दे को बहुत सशक्त तरीके से उठाया है. उक्त रचना में आपने भ्रष्टाचार के संदर्भ से भी अच्छा व्यंग्य प्रस्तुत किया है. भ्रष्टाचार का यह कथन एक कटु सत्य है:
अगर मैं आपका देश छोड़ जाउँगा
आधी से ज़ियादा जनता को मरा पाउँगा
कितने कारोबारी मर जाएँगे
कितनी जनता मर जाएगी
हर गली से हर कूचे से
रोने की आवाज़ आएगी
जगह जगह तबाही मच जाएगी
लाशों के अंबार लग जाएँगे
लाशों के लिए लकड़ी भी ना जुटा पाएँगे
मैं यहाँ खुद तो आया ना था
मैने किसी को अपने पास बुलाया ना था
सब के खून का पाप मैं अपने सिर ले सकता नहीं
इस लिए मैं आप के देश से जा सकता नहीं
आपको इस उत्तम रचना के लिये बधाई देना चाहता हूँ और अपना धन्यवाद भी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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