Re: Mother tongue has no substitue.!
हिंदी के प्रति प्रेम और समर्पण दिखाते उक्त दोहे प्रस्तुत कर के आपने अपनी भाषा और देश प्रेम के सम्बन्ध को पुनः रेखांकित किया है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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