Re: शायरी में मुहावरे
मुहावरा > धूनी लगानी / धूनी रमानी
भावार्थ:
अपनी मांग पर अड़ जाना. यहाँ मांगने वाले फकीरों की और संकेत है जो धनी लोगों के द्वार पर आग सुलगाये बैठे रहते हैं और तब तक नहीं उठते जब तक उनकी मांग पूरी न हो जाये.
उदाहरण:
टपकने का नहीं हरगिज़ दो चार इससे न जब तक हो
मिजः पर अश्के – दूद आलूदनी धूनी लगाये हैं
(शायर: कोशकार स्वयं)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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