बिहार का इतिहास
नव राज्य का गठन
रेग्यूलेटिंग एक्ट १७७४ ई. के तहत बिहार के लिए एक प्रान्तीय सभा का गठन किया तथा १८६५ ई. में पटना और गया के जिले अलग-अलग किये गये ।
१८९४ ई. में पटना से प्रकाशित समाचार-पत्र के माध्यम से बिहार पृथक्*करण आन्दोलन की माँग की गई । इस पत्रिका के सम्पादक महेश नारायण और सच्चिदानन्द थे, जबकि किशोरी लाल तथा कृष्ण सहाय भी शामिल थे ।कुर्था थाना में झण्डा फहराने की कोशिश में श्याम बिहारी लाल मारे गये । कटिहार थाने में झण्डा फहराने में कपिल मुनि भी पुलिस का शिकार हुए ।
ब्रिटिश सरकार आन्दोलन एवं क्रान्तिकारी गतिविधियों से मजबूर होकर अपने शासन प्रणाली के नीति को बदलने लगी ।
इस बीच गाँधी जी ने १० फरवरी, १९४३ को २१ दिन का अनशन करने की घोषणा की । समाचार-पत्र में बिहार हेराल्ड, प्रभाकर योगी ने गाँधी जी की रिहाई की जोरदार माँग की । अक्टूबर, १९४३ के बीच लॉर्ड वेवेल वायसराय बनकर भारत आया । इसी समय २२ जनवरी, १९४४ को गाँधी जी की पत्*नी श्रीमती कस्तूरबा का देहान्त हो गया । मुस्लिम लीग ने बिहार का साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ कर विभाजन करो और छोड़ो का नारा दे रहा था । मुस्लिम लीग ने ४ फरवरी, १९४४ को उर्दू दिवस तथा २३ मार्च को पाकिस्तान दिवस भी मनाया गया । ६ मई, १९४४ को गाँधी जी को जेल से रिहा कर दिया । अनुग्रह नारायण सिंह, बाबू श्रीकृष्ण सिंह, ठक्*कर बापा आदि नेताओं की गृह नजरबन्दी का आदेश निर्गत किये गये ।
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Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||
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