कैसे बनेंगे हम महाशक्ति?
तकनीकी क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं, श्रम का मूल्य न्यून है और समाज में कुछ खुलापन है। हमारी मुख्य समस्यायें भ्रटाचार और असमानता की है। तकनीकी शोध में भी हम आगे बढ़ रहे हैं जैसा कि नैनो कार के बनाने से संकेत मिलते हैं। भ्रटाचार में भी कुछ कमी के संकेत मिल रहे हैं। सूचना के अधिकार ने सरकारी मनमानी पर कुछ न कुछ लगाम अवश्य कसी है। परन्तु अभी बहुत आगे जाना है। अमीरी-गरीबी के मध्य असमानता भी अपने देश में कैन्सर की तरह पनपती जा रही है। गृह मंत्री चिदम्बरम सैन्य बल से इस पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं परन्तु यह निश्चित रूप से असफल होगा क्योंकि मूल रोग की सरकार अनदेखी कर रही है।
मूल रोग है आर्थिक नीतियां। बड़ी कम्पनियों को सरकार खुली छूट दे रही है। इनके लाभ बढ़ते जा रहे हैं जबकि गरीब कराह रहा है। गरीब पर ढाये गये इस अत्याचार पर सरकार मनरेगा द्वारा मरहम पट्टी करने का प्रयास कर रही है। परन्तु इस योजना में भी जम कर भ्रटाचार बढ़ रहा है। इस योजना में समाज की ऊर्जा निकम्मेपन एवं फर्जी कार्यों में खर्च हो रही है। इस तरह भ्रष्टाचार एवं असमानता दोनों समस्यायें आपस में जुड़ी हुयी हैं।
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Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||
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