Re: इधर-उधर से
सबसे बड़ा ग़रीब
महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया। उन्होंने निश्चय किया कि वे इससबसे गरीब आदमी को दान कर देंगे। निर्धन आदमी की तलाश में वे खूब घूमे। उन्हें कोईसुपात्र नहीं मिला। एक दिन उन्होंने देखा राजमार्ग पर राजा के साथ अस्त्र-शस्त्रोंसे सजी विशाल सेना चली आ रही है। राजा महात्मा को पहचानता था।
हाथी से उतरकरउसने महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने अपनी झोली से धन निकाला और राजा को थमादिया। राजा ने विनीत स्वर में कहा महाराज! यह क्या? आपके आशीर्वाद से मेरे खजानेमें हीरे-जवाहरात का भंडार है। महात्मा ने उत्तर दिया राजन! मैं गरीब आदमी की तलाशमें था। तुम सबसे गरीब हो। यदि तुम्हारे खजाने में धन का अंबार है तो सेना लेकरकहां जा रहे हो? अगर तुम्हें किसी बात की कमी नहीं तो यह सब किसलिए? राज्य काविस्तार और धन के लिए। महात्मा की बातों ने असर किया। राजा ने तत्काल अपनी सेना कोलौटने का आदेश दिया। वह ऐसे जा रहा था मानो अनमोल खजाना जीतकर लौट रहा हो।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 13-04-2014 at 09:34 PM.
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