22-04-2014, 08:53 PM
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#3
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Re: रोता है दिल सुबह सुबह अख़बार पड़ कर bansi
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Originally Posted by rafik
बंसी ,बहूत अच्छी रचना पेश की आपने धन्यवाद
आजकल अखबार में केवल नेताजी छाये हुए है
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rafik जी बहुत बहुत शुक्रिया.
हालात ऐसे हैं कि अपनी बेबसी पे भी रोना आता है.
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