Re: !! गीत सुधियोँ के !!
झर कर भी जो पीले न पड़े
कुछ तो सुधि के पातोँ मेँ है
योँ तो मन माने मौसम के
कितने ही तेवर कड़े रहे
फिर भी हठयोगी जैसे ये मौसम के आगे अड़े रहे ,
बढ़ती हैँ बातोँ से बातेँ
कुछ तो इनकी बातोँ मे है ।
कुछ तो सुधि के पातोँ मेँ है ।
हंसकर ये जब कब कहते है
हंसने वाले दिन चले गए
हंसते हंसते ही सुख के दिन दुख के हाथोँ से छले गए ।
गत आवर्तोँ को गति देते
कुछ तो झंझावतोँ मेँ है ।
कुछ तो सुधि के पातोँ मेँ है
संस्मृतियोँ मेँ इनके जगते
सारे संयम खो जाते हैँ ,
चिति के पंखोँ पर उड़ते पल पल मे बेसुध हो जाते है ,
घातोँ , प्रतिघातोँ पर घातेँ
कुछ तो मधुरिम घातोँ मे है कुछ तो सुधि के पातोँ मे है
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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Last edited by Sikandar_Khan; 13-02-2011 at 03:54 PM.
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