14-02-2011, 05:22 AM
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#53
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दिल्ली के दर्शनीय स्थल
सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरांत वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया। कुछ नामों को बदल देने के सिवाय लुटियन्स द्वारा रूपांकित किया गया यह भवन जैसा था, वैसा ही आज भी है। मुगल उद्यान में भी कोई खास बदलाव नहीं आया, सिवाय कुछ बागवानी संबंधित सुधारों के। भारत के अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, उनके मुताबिक इसमें कुछ न कुछ बदलाव अवश्य हुए हैं। प्रथम राष्ट्रपति, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन में कोई बदलाव नहीं कराया लेकिन उन्होंने इस खास बाग को जनता के लिए खोलने की बात की। उन्हीं की वजह से प्रति वर्ष मध्य-फरवरी से मध्य-मार्च तक यह आकर्षक गार्डन आम जनता के लिए खोला जाता है।डॉ0 जाकिर हुसैन गुलाबों के अत्यंत शौकीन थे। उन्होंने देश-विदेश से गुलाब की कई किस्में मंगवाकर यहां लगवाई। डॉ. वी.वी.गिरी और श्री नीलम संजीव रेड्डी की बागों तथा बागवानी में खास दिलचस्पी नहीं थीं, फिर भी वे बाग कर्मचारियों की मेहनत से खिले फूलों को देखकर, उनकी सराहना करते रहते थे।
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Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||
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