Re: इस जलती कलम से क्या लिखूं ?
वादे पूरे करने की वो हिम्मत ही न जुटा पाये
क्यों होगा कैसे होगा वो हिम्मत ही न जुटा पाये
जनता ऐसे मूर्ख बनेगी इसका उनको ज्ञान नहीं था
ये अनचाहा सब गले पड़ेगा ऐसा कोई भान नहीं था
लालच दिखा कर जनता को ऐसे ठगना ठीक नहीं
मैदान छोड़ कर भाग गये ऐसा भी करना ठीक नहीं
अपनी हठ को ऊपर रख आरोप थोपना ठीक नहीं
गलत नीति को ऊपर रख कानून तोड़ना ठीक नहीं
बहुत दिखाये थे सपने अब उन सपनों का क्या होगा
आप की खातिर धंधा छोडा उन अपनों का क्या होगा
शांती स्वरूप मिश्र
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