Re: मेरी पसंद : गीत गजल कविता
किसी को धन नहीं मिलता
किसी को तन नहीं मिलता
लुटाओ धन मिलेगा तन
मगर फिर मन नहीं मिलता
हमारी चाहतें अनगिन
मगर जीवन नहीं मिलता
किसी के पास धन-काया
मगर यौवन नहीं मिलता
ये सांपों की है बस्ती पर
यहाँ चन्दन नहीं मिलता
जहां पत्थर उछलते हों
वहां मधुबन नहीं मिलता
मोहब्बत में मिले पीड़ा
यहाँ रंजन नहीं मिलता
लगाओ मन फकीरी में
सभी को धन नहीं मिलता
वो है साजों का मालिक पर
सभी को फन नहीं मिलता
अगर हो कांच से यारी
तो फिर कंचन नहीं मिलता
मिलेंगे लोग पंकज पर
वो अपनापन नहीं मिलता.
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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