Re: इधर-उधर से
मेरी डायरी के पन्ने / 6 अक्तूबर 1995
आज डी डी (II) पर सुबह पुराने ज़माने की मशहूर गायिका-अदाकारा राज कुमारी का इंटरव्यू प्रसारित किया गया. मैंने इनके गाने सुने तो हैं लेकिन इनके बारे में अधिक नहीं जानता था. इनके गाये हुये कुछ गाने इस प्रकार हैं:
1. अखियाँ मिला के जिया भरमा के चले नहीं जाना
2. सुन ..... बैरी बालम सच बोल ..... इब क्या होगा
उन्होंने खेमचंद प्रकाश के संगीत निर्देशन में “घबरा के जो हम सर को, टकरायें तो अच्छा” गा कर बेशुमार शोहरत पाई.
^ गुजरे जमाने की गायिका राजकुमारी का जन्म 1924 में गुजरात में हुआ था। कहते हैं कि पूत के पांव पलने में दिखने लगते हैं। कुछ ऐसी ही शख्सियत गायिका राजकुमारी थी। उन्होंने महज 14 वर्ष की उम्र में ही अपना पहला गाना एचएमवी में रिकार्ड कराया। गाने के बोल थे सुन 'बैरी बलमा कछू सच बोल न।' यह अलग बात थी राजकुमारी ने किसी संस्था से संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली थी। लेकिन ईश्वर ने जो उन्हें कंठ बख्शा था वह कम नहीं था। इसके बाद तो उन्होंने विभिन्न मंचों पर अपनी गायिकी का सफर जारी रखा। कहते हैं एक बार वह सार्वजनिक मंच पर गाना गा रही थीं। वहीं उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता प्रकाश भट्ट से हो गई। फिर क्या उन्होंने उन्हें प्रकाश पिक्चर से जुड़ने का न्यौता दे दिया। इस बैनर के तहत बनने वाली गुजराती फिल्म 'संसार लीला' में कई गाने पेश किए। इस फिल्म को हिन्दी में भी ‘संसार’ नाम से फिल्माया गया। इसमें राजकुमारी जी ने गीत पेश किया 'आंख गुलाबी जैसे मद की प्यालियां, जागी हुई आंखों में है शरम की लालियां।' इसके बाद तो उनकी प्रतिभा बालीवुड में सिर चढ़कर बोलने लगी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 12-05-2014 at 08:46 PM.
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