Re: ~!!यदा कदा सर्ब्बदा यमलोक कहानी!!~
ताकि जल्दी से मे तुम्हारा काम करा दूँ ।‘’
मैं बोली,“ मेरे पास तो कुछ नहीं है पैसा
क्या यमलोक में भी होता है धरती जैसा ?’’
बोले,“प्राण–प्राण में फेर बदल क्या काम है थोड़ा ?
बिना रिश्वत कभी किसी ने काम है जोड़ा ?
मैं तो फिर भी पचास प्रतिशत में काम चलाता हूँ
और पचास प्रतिशत साहब को दे आता हूँ
तुमने गर सोलह साल पहले ये समझा होता
तो शायद तुम्हारी फ़ाइल में मार्क ना होता ।’’
‘‘हे चित्रगुप्त मेरे जीवन के बदले क्या है फीस तुम्हारी?
इस छाया के अतिरिक्त कोई दशा ना मेरी।’’
‘‘हे बाला इस सुंदरता ने ही तो तुझे इस लोक में खींचा
सोलह साल तेरे रूप की क्यारी को पल-पल सींचा
चल तू इस काया को ही दे दे मुझको
फिर स्वर्ग में ट्रान्सफर कर दूँगा तुझको ।’’
‘‘चित्रगुप्त तुम ये कैसी बातें करते हो?
पिता-पुत्री के रिश्ते को धूमिल करते हो
ये ख़याल भी तुम्हारे मन में कैसे आया?
तुममें भी क्या धरती का हे पुरुष समाया?’’
बोले,“सुन लड़की स्वर्ग में एक सीट है खाली
तुम्हें भेजना उस लोक में काम है जाली
गर तुम एक रात ;ejkKh बन लो
तो शायद स्वर्गलोक की इच्छा कर लो
नहीं तो दस दिन में तेरी ख़त्म कहानी
बादल जाएगी तेरी छाया बहता पानी
फिर आजीवन तू हरिद्वार में बहना
सदा भटकते हुए मृत्युलोक में रहना।‘’
मैंने इस बात पर मौन स्वीकृति दर्शायी
फिर में स्वर्ग की अप्सरा न बन पायी
और मेरी जगह दूसरी लड़की ने सोर्स लगायी
मैंने कुछ समय बाद हरिद्वार गंगा में जगह बनायी
आज सभी मुझमे सारे पाप हे धोते
सारे झूठे पंडित मेरे तट पर होते
लेकिन फिर भी में अपने इस हाल में खुश हूँ
मुझसे हर व्यक्ति से कोई ना पर्दा
मैं सबकी हमराज़ इस बात से खुश हूँ
लेकिन फिर भी कभी-कभी दुख होता है
क्यों मनुष्य एक-दूजे का दुश्मन बनता है
क्यों नारी है हर जगह कलह का कारण
काश मृत्युलोक में मेरे बहने से पहले
लोगों की तृष्णा व वासना मर जाती
तो शायद इसका असर यमलोक न जाता
और मैं भी बिना रिश्वत अप्सरा बन जाती।
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