17-05-2014, 12:17 AM
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#413
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
न जाने क्यूँ इतना यकीन है तेरी वफा पर ऐ दोस्त
वरना हुस्न वाले तो खुद से भी वफा नही करते !!.....
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तुमने तो हक़ पे न चलने की कसम खा ली है
जब कि आये हैं ज़माने में..... पयम्बर कितने
तीर गर्दन पे, जले खेमे,..... कटे बाजू-ओ-सर
मैंने आँखों में बसा रखे हैं....... मंज़र कितने
(अतीक़ इलाहाबादी)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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